ABOUT TRADITIONAL TAMPLE
खजुराव मंदिरो के बारे में
पुराने समय में भी Architect का बहुत बड़ा योगदान रहता था जितनी भी पुरानी इमारते बनी हुई हे कही न कही Architect का योगदान रहा है। किसी देश के विकास में Architect हमेशा मुख्य भागीदारी निभाता है।
मोहन जोदरो सभ्यता हो या हड़पा सभी में Architect ने अपनी भूमिका निभाई हे।
आज हम ऐसे ही कुछ पुरे मंदिरो के बारे में जानेंगे और सीखेंगे की प्राचीन काल में कैसे मंदिरो को सुंदर बनाया जाता था और कैसे हस्तशिल्पकारी होती थी।
खजुराव एक शहर का नाम हे जो मध्यप्रदेश में स्थित हैं। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीचइन्हीं चंदेल राजाओं द्वारा किया गया। यह शहर हस्तशिल्पकारी और अपनी कलाओ के लिए बहुत प्रसिद्ध हे और यहाँ स्थित मंदिर इस शहर की कला को प्रदर्शित करता है।इस स्थान को युनेस्को ने 1986 में विश्व विरासत की सूची मेंशामिल भी किया है। इसका मतलब यह हुआ कि अब सारा विश्व इसकी मरम्मत और देखभाल के लिए उत्तरदायी होगा। यह मंदिर अपनी सुंदरता के लिए भारत में ही नहीं विदेशो में भी सुप्रसिद्ध है। इन मंदिरो को विदेशो ,में मध्यकालीन मंदिरो के नाम से जाना जाता हे। यहाँ हिन्दू धर्म और जैन धर्म के बहुत सारे मंदिर बने हुए हे। खजुराव मंदिरो का नाम खजूर के पेड़ के नाम पर रखा गया था। आरम्भ में यहाँ बहुत सरे मंदिर स्थित थे पर प्रकृति के प्रकोप से और अनेक युद्धो के कारण यहाँ २२ मंदिर ही रहे गए हे। इन मंदिरो में ज्यादा तर भोग विलास और कामसूत्रा की मूर्तियों का उल्लेख किया गया हे। उस समय कामसूत्र के बारे में पुरे detail से बताया गया हे इन मूर्तियों में पुराने समय की औरतो के रहेन सहन का भी उल्लेख मिलता हे।
उस समय की हस्तकलाओ से इन मूर्तियों की सुंदरता और संस्कृति को बड़ी बारीकी से उभारा गया हे। जो दिखने में बहुत ही मनमोहक हे।
"धन्यवाद"
पुराने समय में भी Architect का बहुत बड़ा योगदान रहता था जितनी भी पुरानी इमारते बनी हुई हे कही न कही Architect का योगदान रहा है। किसी देश के विकास में Architect हमेशा मुख्य भागीदारी निभाता है।
मोहन जोदरो सभ्यता हो या हड़पा सभी में Architect ने अपनी भूमिका निभाई हे।
आज हम ऐसे ही कुछ पुरे मंदिरो के बारे में जानेंगे और सीखेंगे की प्राचीन काल में कैसे मंदिरो को सुंदर बनाया जाता था और कैसे हस्तशिल्पकारी होती थी।
खजुराव एक शहर का नाम हे जो मध्यप्रदेश में स्थित हैं। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ईसवीं से 1050 ईसवीं के बीचइन्हीं चंदेल राजाओं द्वारा किया गया। यह शहर हस्तशिल्पकारी और अपनी कलाओ के लिए बहुत प्रसिद्ध हे और यहाँ स्थित मंदिर इस शहर की कला को प्रदर्शित करता है।इस स्थान को युनेस्को ने 1986 में विश्व विरासत की सूची मेंशामिल भी किया है। इसका मतलब यह हुआ कि अब सारा विश्व इसकी मरम्मत और देखभाल के लिए उत्तरदायी होगा। यह मंदिर अपनी सुंदरता के लिए भारत में ही नहीं विदेशो में भी सुप्रसिद्ध है। इन मंदिरो को विदेशो ,में मध्यकालीन मंदिरो के नाम से जाना जाता हे। यहाँ हिन्दू धर्म और जैन धर्म के बहुत सारे मंदिर बने हुए हे। खजुराव मंदिरो का नाम खजूर के पेड़ के नाम पर रखा गया था। आरम्भ में यहाँ बहुत सरे मंदिर स्थित थे पर प्रकृति के प्रकोप से और अनेक युद्धो के कारण यहाँ २२ मंदिर ही रहे गए हे। इन मंदिरो में ज्यादा तर भोग विलास और कामसूत्रा की मूर्तियों का उल्लेख किया गया हे। उस समय कामसूत्र के बारे में पुरे detail से बताया गया हे इन मूर्तियों में पुराने समय की औरतो के रहेन सहन का भी उल्लेख मिलता हे।
उस समय की हस्तकलाओ से इन मूर्तियों की सुंदरता और संस्कृति को बड़ी बारीकी से उभारा गया हे। जो दिखने में बहुत ही मनमोहक हे।
"धन्यवाद"
Nice 👌
ReplyDeleteNice 👌
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